
तारीख: 18 जुलाई 2025
रिपोर्ट: FreshKhabrein.com डेस्क
भारत की शिक्षा प्रणाली में एक बड़ा बदलाव सामने आया है। NCERT यानी राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद ने कक्षा 7 और 8 की इतिहास की किताबों में मुग़ल काल को लेकर कई अहम परिवर्तन किए हैं। इन बदलावों ने छात्रों, अभिभावकों और शिक्षकों के बीच चर्चा को तेज़ कर दिया है।
कक्षा 7 की किताब में क्या बदला?
अब कक्षा 7 की नई इतिहास की किताब में दिल्ली सल्तनत और मुग़ल साम्राज्य से जुड़े अध्यायों को पूरी तरह हटा दिया गया है। नई किताब में भारत के प्राचीन इतिहास जैसे मौर्य, गुप्त और सातवाहन राजवंशों पर ज़्यादा फोकस किया गया है। मुग़ल शासन और दिल्ली सल्तनत का कोई जिक्र अब इन किताबों में नहीं मिलेगा।
NCERT का कहना है कि ये बदलाव राष्ट्रीय पाठ्यचर्या रूपरेखा 2023 के अंतर्गत किए गए हैं, ताकि बच्चों को एक नई दृष्टिकोण से भारत का इतिहास सिखाया जा सके। फिलहाल यह किताब का पहला भाग है, और आगे आने वाले दूसरे भाग में कुछ नए अध्याय जोड़े जा सकते हैं, लेकिन इसकी कोई निश्चित जानकारी नहीं दी गई है।
कक्षा 8 की किताब में मुग़लों की छवि बदली
जहाँ कक्षा 7 से मुग़ल इतिहास को पूरी तरह हटा दिया गया है, वहीं कक्षा 8 की किताब में मुग़ल शासकों को एक नए और विश्लेषणात्मक दृष्टिकोण से पढ़ाया जा रहा है।
- बाबर को “निर्दयी विजेता” बताया गया है।
- अकबर को “क्रूर लेकिन सहिष्णु” की तरह प्रस्तुत किया गया है।
- औरंगज़ेब की धार्मिक असहिष्णुता और मंदिर विध्वंस की घटनाओं को भी प्रमुखता से दिखाया गया है।
किताब में यह भी साफ किया गया है कि इतिहास को किसी पर दोष मढ़ने के लिए नहीं पढ़ाया जाता, बल्कि इसके पीछे उद्देश्य है — विद्यार्थियों को सच को समझने और तर्क करने के योग्य बनाना। इसी कारण एक ‘नो ब्लेम नोट’ भी शामिल किया गया है जिसमें लिखा गया है कि इन तथ्यों को दोष लगाने के बजाय समझने की कोशिश करें।
अधिकारियों ने क्या कहा?
NCERT के वरिष्ठ सलाहकार श्री डी.पी. सिंह ने इस बदलाव पर बात करते हुए कहा कि यह निर्णय छात्रों को इतिहास की एक संतुलित और तथ्यात्मक समझ देने के उद्देश्य से लिया गया है। उनके अनुसार, इतिहास को सिर्फ महिमामंडन या आलोचना के रूप में नहीं, बल्कि एक विश्लेषणात्मक विषय के रूप में पढ़ाया जाना चाहिए ताकि विद्यार्थी खुद सोच सकें।
लोगों की प्रतिक्रिया क्या रही?
इस बदलाव पर प्रतिक्रियाएं मिली-जुली हैं।
कई लोग इसे “इतिहास की सच्चाई की वापसी” मानते हैं, जबकि कुछ इतिहासकार और शिक्षक इसे “चयनात्मक इतिहास” का उदाहरण मानते हैं। सोशल मीडिया पर भी यह मुद्दा खूब चर्चा में है और #NCERTChanges ट्रेंड कर रहा है।
निष्कर्ष
NCERT द्वारा इतिहास की किताबों में किया गया यह बदलाव न केवल पाठ्यक्रम में बल्कि विद्यार्थियों की सोच में भी बदलाव ला सकता है। अब देखना ये है कि आने वाले वर्षों में यह कदम कितना प्रभावशाली होता है और क्या इसे भविष्य की पीढ़ी सकारात्मक रूप से अपनाती है या नहीं।