
सावन 2025: कांवड़ यात्रा की शुरुआत, महत्व और हाल ही के विवाद
11 जुलाई 2025: सावन मास की शुरुआत के साथ ही पूरे देश में **कांवड़ यात्रा** का पवित्र पर्व शुरू हो गया है। इस दौरान श्रद्धालु गंगा, यमुना, गोमुख जैसी पवित्र नदियों का जल लाकर भगवान शिव को अर्पित करते हैं।
Thank you for reading this post, don't forget to subscribe!🔱 आध्यात्मिक महत्व | Spiritual Significance
हिंदी: कांवड़ यात्रा शिवभक्ति और तपस्या की सबसे पवित्र परंपरा मानी जाती है। कांवड़—जो गंगाजल से भरी होती है—भक्तों द्वारा अपने कंधे पर रखा जाता है, जो समर्पण और कठिनाइयों को झेलने की शक्ति का प्रतीक है। कुछ धार्मिक मान्यताओं में माना जाता है कि इस यात्रा की शुरुआत भगवान परशुराम या रावण द्वारा की गई थी, जो शिव की कृपा पाने के लिए गंगाजल लेकर पहुंचे थे।
🚶♂️ कांवड़ यात्रा कब से और कैसे होती है?
हिंदी: सावन मास का आरंभ 11 जुलाई 2025 से हुआ। इस वर्ष सावन का पहला सोमवार विशेष भाव से मनाया गया और यात्रा सावन शिवरात्रि तक चलती है। इस दौरान कांवड़ियों द्वारा गंगा जल अपने कंधों पर लेकर चलने का क्रम शुरू होता है।
📺 लाइव कवाड़ी यात्रा | Video Coverage
This is a live coverage video of Kawad Yatra 2025 showing the fervent devotion in Deoghar and Haridwar regions. :contentReference[oaicite:5]{index=5}
⚠️ हालिया विवाद और घटना | Recent Controversy
हिंदी: सावन की शुरुआत होते ही उत्तर प्रदेश के मुझफ्फरनगर और हरिद्वार में कांवड़ यात्रा दौरान कुछ कांवड़ियों ने बीते दिनों कारों और बाइकों पर तोड़फोड़ की घटनाएँ की। यह विवाद सोशल मीडिया पर जमकर चर्चा में रहा।
✅ निष्कर्ष | Conclusion
कांवड़ यात्रा सावन के पवित्र माह में भक्ति, तपस्या और भगवान शिव की आराधना का अनमोल प्रतीक है। हालांकि कुछ विवादित घटनाओं के कारण रोष बढ़ा, पर आम तौर पर यह यात्रा शांति, अनुशासन और आध्यात्मिक शुद्धता का मार्ग दिखाती है।
अगर आपको यह लेख पसंद आया हो तो कृपया शेयर करें और अपने विचार टिप्पणियों में ज़रूर लिखें!