
भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के अचानक इस्तीफ़े ने पूरे देश की राजनीति में हलचल मचा दी है। आधिकारिक कारण स्वास्थ्य समस्याएँ बताई गई है, लेकिन क्या वाकई मामला इतना सीधा है? मशहूर शिक्षक और विश्लेषक अंकित अवस्थी सर ने अपने हालिया वीडियो में इस इस्तीफ़े के पीछे की राजनीतिक रणनीतियों और संभावित कारणों पर रोशनी डाली है। आइए जानते हैं उन्होंने क्या कहा।
Thank you for reading this post, don't forget to subscribe!क्या सिर्फ़ स्वास्थ्य कारण?
आधिकारिक बयान में स्वास्थ्य समस्याओं का ज़िक्र किया गया,
लेकिन अंकित सर का सवाल — “जब धनखड़ साहब हाल के कार्यक्रमों में सक्रिय थे, तो अचानक गंभीर स्वास्थ्य समस्या कैसे?”
उनका मानना है कि स्वास्थ्य वजह एक कवर-अप हो सकता है, असल कारण राजनीति से जुड़ा है।
b) राजनीतिक टकराव के संकेत
धनखड़ साहब ने अपने कार्यकाल में किसान से जुड़े मुद्दों और संसदीय स्वतंत्रता पर सख्त रुख अपनाया।
ये रुख कई बार सरकार की नीतियों से टकराता दिखा।
अंकित सर ने बताया कि संभव है कि ये मतभेद इस्तीफ़े की असली वजह हों।
c) पूर्व बयान से उठे सवाल
कुछ दिन पहले धनखड़ साहब का बयान वायरल हुआ था –
> “अगर दिव्य हस्तक्षेप न हुआ तो 2027 तक बने रहूंगा।”
अंकित सर ने बताया कि ये बयान आज के इस्तीफ़े के साथ विरोधाभासी लगता है और
राजनीतिक दबाव या अचानक मोड़ का संकेत देता है।
d) संवैधानिक पहलू
इस्तीफ़े के बाद राज्यसभा की कार्यवाही पर सीधा असर पड़ेगा क्योंकि उपराष्ट्रपति ही राज्यसभा के चेयरमैन होते हैं।
अब नए उपराष्ट्रपति का चुनाव होगा, जिसका सीधा असर 2029 आम चुनाव से पहले की राजनीति पर पड़ सकता है।
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4. राजनीतिक प्रतिक्रियाएँ
कांग्रेस और विपक्ष ने आरोप लगाया कि ये इस्तीफ़ा RSS-BJP के आंतरिक मतभेदों का नतीजा है।
वहीं, BJP समर्थक इसे धनखड़ साहब की व्यक्तिगत स्वास्थ्य प्राथमिकता बता रहे हैं।
सोशल मीडिया पर जनता के बीच भी बहस छिड़ी है — “क्या ये सिर्फ़ स्वास्थ्य कारण है या बड़ा राजनीतिक खेल?”
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5. भविष्य की संभावनाएँ
अंकित सर के अनुसार, इस्तीफ़े के बाद BJP को नए चेहरे की तलाश होगी जो चुनावी और संसदीय दोनों समीकरणों को साध सके।
विपक्ष इस मुद्दे को सरकार के खिलाफ नैरेटिव बनाने के लिए इस्तेमाल कर सकता है।
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6 निष्कर्ष
अंकित अवस्थी सर का विश्लेषण साफ करता है कि धनखड़ का इस्तीफ़ा सिर्फ़ स्वास्थ्य कारण नहीं हो सकता। इसके पीछे गहरी राजनीतिक गणनाएँ और आने वाले चुनावी समीकरण छिपे हो सकते हैं। आने वाले दिनों में इस पर और खुलासे हो सकते हैं।