अभी अभी एक बड़ी खबर सुनने को आ रही उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ जी ने अपने पर से त्यागपत्र दे दिया है
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उप राष्ट्रपति पद से इस्तीफा देने वाले देश के पहले व्यक्ति होंगे।
इस्तीफे का कारण
जगदीप धनखड़ ने अपना इस्तीफा राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को सौपा है। उन्होंने अपने स्वास्थ्य का हवाला देते हुए इस्तीफा दिया। जगदीप धनखड़ ने अपना उपराष्ट्रपति पद 2022 में संभाला था, इससे पहले वह पश्चिम बंगाल के राज्यपाल थे
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ जी सुप्रीम कोर्ट के वकील भी रह चुके हैं जगदीप धनखड़ का कार्यकाल 2027 तक था किंतु उन्होंने अभी अपना त्यागपत्र दे दिया।
अचानक ऐसी खबर मिलने पर सभी लोग हैरत में है। लोगों को उनके स्वास्थ्य की भी चिंता है, उम्मीद है धनकर जी हमेशा स्वस्थ रहें हम उनके अच्छे स्वास्थ्य की कामना करते हैं
इस्तीफ़ा आज शाम राष्ट्रपति भवन को सौंपा गया।
उन्होंने संविधान के अनुच्छेद 67(a) के तहत इस्तीफ़ा दिया, जो उपराष्ट्रपति को लिखित रूप से त्यागपत्र देने की अनुमति देता है।
यह इस्तीफ़ा तत्काल प्रभाव से स्वीकार कर लिया गया।
धनखड़ ने क्या कहा?
अपने इस्तीफे में जगदीप धनखड़ ने लिखा:
“स्वास्थ्य मेरे लिए सर्वोपरि है। मैं चिकित्सा सलाह का पालन करते हुए, कुछ समय के लिए सार्वजनिक जीवन से अलग हो रहा हूँ। देश की सेवा करना मेरे लिए सौभाग्य रहा।”
अब आगे क्या?
- उपराष्ट्रपति पद खाली होने के कारण अब भारत में जल्द ही नए उपराष्ट्रपति के चुनाव की प्रक्रिया शुरू होगी।
- चुनाव आयोग जल्द इसकी तिथि घोषित करेगा।
- तब तक राज्यसभा की कार्यवाही में अध्यक्ष पद का कार्यभार उपसभापति या अनुभवी सांसदों के जरिए संचालित किया जाएगा।
राजनीतिक हलचल:
धनखड़ के इस्तीफे से सियासी गलियारों में अचानक हलचल तेज हो गई है। सरकार की ओर से अभी कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन विपक्ष इस घटनाक्रम को कई संकेतों से जोड़कर देख रहा है।
एक शांत विदाई, लेकिन कई सवाल…
जगदीप धनखड़ का इस्तीफ़ा सिर्फ एक संवैधानिक प्रक्रिया नहीं है, बल्कि एक ऐसा पल है जहाँ देश का दूसरा सबसे बड़ा संवैधानिक पद अचानक खाली हो गया। ऐसे में स्वाभाविक रूप से कई सवाल उठते हैं—
- क्या स्वास्थ्य कारणों के पीछे कोई और कारण भी छिपे हैं?
- क्या वे भविष्य में राजनीति से पूरी तरह संन्यास लेने जा रहे हैं?
- क्या सत्तारूढ़ दल इस पद पर किसी नए चेहरे को सामने लाने की तैयारी में है?
इन सवालों के जवाब तो आने वाले समय में सामने आएंगे, लेकिन यह तय है कि इस इस्तीफ़े ने राजनीतिक गलियारों में नई चर्चा को जन्म दे दिया है।
संसद सत्र के पहले दिन बड़ा झटका
ध्यान देने वाली बात यह है कि संसद का मानसून सत्र आज से ही शुरू हुआ है। ऐसे में उपराष्ट्रपति, जो राज्यसभा के सभापति भी होते हैं, का अचानक इस्तीफ़ा देना संसद की कार्यवाही पर भी असर डाल सकता है। अब जब तक नया उपराष्ट्रपति नहीं चुना जाता, तब तक सदन की कार्यवाही उपसभापति द्वारा संचालित की जाएगी।
विपक्ष की प्रतिक्रिया
विपक्षी दलों ने इस इस्तीफ़े को लेकर चुप्पी तो नहीं तोड़ी है, लेकिन कई नेताओं ने इसे “अप्रत्याशित” और “आश्चर्यजनक” करार दिया है। कुछ नेताओं का कहना है कि “किसी बड़े घटनाक्रम की पृष्ठभूमि तैयार हो रही है”, हालांकि इसका कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है।
नए उपराष्ट्रपति को लेकर चर्चा शुरू
अब सबकी निगाहें इस पर टिकी हैं कि नए उपराष्ट्रपति के रूप में कौन आगे आता है? क्या सरकार किसी अनुभवी नेता, पूर्व नौकरशाह, या किसी लोकप्रिय जनप्रतिनिधि को आगे लाएगी?
भाजपा की ओर से उम्मीदवार कौन होगा और क्या विपक्ष अपना साझा प्रत्याशी खड़ा करेगा – यह अगले कुछ दिनों में साफ हो जाएगा।
निष्कर्ष: लोकतंत्र में हर पद अस्थायी है, पर कार्यों की गूंज स्थायी
जगदीप धनखड़ ने अपने कार्यकाल के दौरान कई बार चर्चा बटोरी — कभी संसद की गरिमा बनाए रखने को लेकर, तो कभी तीखे बयानों के कारण। उनका कार्यकाल लंबा तो नहीं रहा, लेकिन उन्होंने अपनी एक विशिष्ट पहचान बनाई।
उनकी विदाई भले ही ‘स्वास्थ्य कारणों’ से हो रही है, लेकिन देश उन्हें एक संवेदनशील, स्पष्टवादी और सशक्त उपराष्ट्रपति के रूप में याद रखेगा।