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हरिद्वार के प्रसिद्ध धार्मिक स्थल मनसा देवी मंदिर में आज यानी 27 जुलाई 2025 को एक दुखद भगदड़ की घटना हुई। सावन के पावन माह और रविवार के कारण हजारों श्रद्धालु यहां दर्शन के लिए आने पहुंचे थे, लेकिन भीड़ नियंत्रण के अभाव में अफरातफरी मच गई। इस हादसे में कम-से-कम 6-7 लोगों की मौत हो गई और 30 से अधिक श्रद्धालु घायल हुए हैं। यह घटना सिर्फ एक धार्मिक स्थल की सुरक्षा की चिंता ही नहीं बल्कि पूरे देश में सार्वजनिक स्थानों पर भीड़ प्रबंधन की महत्वपूर्ण सीख भी साबित हुई है।
मनसा देवी मंदिर और इसका सांस्कृतिक महत्व
मनसा देवी मंदिर हरिद्वार का एक प्रमुख धार्मिक केंद्र है, जहां सावन, नवरात्रि, और अन्य त्योहारों के दौरान लाखों श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं। यह मंदिर मां मनसा देवी को समर्पित है, जिन्हें जादू-टोने और नाग-नारायण शक्ति की देवी माना जाता है। धार्मिक श्रद्धा के कारण पूरे साल यहां भक्तों का बड़ा आवागमन रहता है, लेकिन सावन के महीने में विशेष तौर पर यहां भीड़ चरम पर होती है।
भगदड़ की घटना का पूरा ब्यौरा
सुबह से ही मंदिर परिसर में भक्तों की भारी भीड़ जमा थी। मंदिर की संकरी गलियां और सीढ़ियां इतनी व्यस्त थीं कि लोगों को आगे बढ़ने में दिक्कत हो रही थी। दोपहर लगभग 12 बजे अचानक भीड़ नियंत्रण से बाहर हो गई।
लोगों के धक्का-मुक्की करते हुए फिसलना शुरू हुआ।
सीढ़ियों पर कई लोग गिर पड़े और उनके ऊपर लोग गिरते गए।
इससे भगदड़ की स्थिति पैदा हो गई, जिससे श्रद्धालुओं को सांस लेने में मुश्किलें आने लगीं।
तत्काल राहत कार्य के लिए पुलिस और स्थानीय प्रशासन सक्रिय हो गए, लेकिन तब तक 6-7 लोगों की मौत हो चुकी थी और 30 से ज्यादा घायल अस्पतालों में भर्ती थे। कई घायल गंभीर अवस्था में हैं।
भगदड़ के कारण
इस हादसे के कई कारण सामने आए हैं:
अत्यधिक भीड़: सावन व रविवार के मिलन से मंदिर में भारी भीड़ उमड़ आई थी।
अपर्याप्त भीड़ प्रबंधन: मंदिर परिसर में सुरक्षा और भीड़ नियंत्रण के मानक व्यवस्था नहीं थे।
संकरा रास्ता और सीढ़ियां: भीड़ के लिए जगह कम होने के कारण लोग फंस गए।
तुरंत बचाव का अभाव: प्रारंभिक स्थिति में जरुरी आपातकालीन तैयारी कम नजर आई।
स्थानीय लोगों और चश्मदीदों ने बताया कि यह हादसा बचाव के उपायों की कमी और भीड़ नियंत्रण के अभाव की वजह से हुआ।
प्रशासन की प्रतिक्रिया और राहत कार्य
घटना के बाद तुरंत जिला प्रशासन और पुलिस बल ने राहत कार्य शुरू किया।
पुलिस और आपदा प्रबंधन की टीमें मौके पर पहुंची।
घायल श्रद्धालुओं को तुरंत अस्पताल पहुंचाया गया।
मंदिर परिसर को बंद कर भीड़ को नियंत्रित किया गया।
उच्चस्तरीय जांच के आदेश दिए गए हैं, ताकि अगर लापरवाही पाई गई तो कार्रवाई हो सके।
प्रशासन ने श्रद्धालुओं से भी अपील की है कि वे संयम रखें और सुरक्षा निर्देशों का पालन करें।
भीड़ सुरक्षा के लिए भविष्य के सुझाव
इस हादसे से यह स्पष्ट हो गया है कि धार्मिक और सार्वजनिक स्थलों पर भीड़ प्रबंधन बेहद जरूरी है। इसके लिए कुछ जरूरी कदम उठाए जाने चाहिए:
भीड़ नियंत्रण के लिए पर्याप्त बारियर और मार्ग बनाए जाएं।
मंदिरों और धार्मिक स्थलों पर सुरक्षा कर्मचारियों की संख्या बढ़ाई जाए।
आपातकालीन बचाव के लिए प्रशिक्षण और संसाधनों का प्रबंध जरूरी है।
श्रद्धालुओं को भीड़ और सुरक्षा के प्रति जागरूक किया जाए।
तकनीकी साधनों जैसे सीसीटीवी कैमरा, भीड़ गिनने वाले सेंसर और सार्वजनिक एड बोल के इस्तेमाल बढ़ाएं।
मनसा देवी मंदिर भगदड़: श्रद्धालुओं और समाज की प्रतिक्रिया
देश-भर से श्रद्धालु और स्थानीय समाज इस दुखद घटना से आहत हैं। सोशल मीडिया पर श्रद्धांजलि देते हुए लोग इस घटना की जिम्मेदारी तय करने और भविष्य में सुरक्षा बढ़ाने की मांग कर रहे हैं।
धार्मिक स्थल होने के कारण श्रद्धालु यहां अपनी आस्था के साथ आते हैं, इसलिए सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता देना चाहिए, वरना इस तरह के हादसे निंदनीय हैं और आस्था को भी चोट पहुंचाते हैं।
