
यमन में भारतीय नर्स निमिषा प्रिया की फांसी की सजा टली: पूरी जानकारी
17 जुलाई 2025 की सुबह तक यमन में भारतीय नर्स निमिषा प्रिया को लेकर एक बड़ी राहत भरी खबर सामने आई है। निमिषा प्रिया, जो केरल के पलक्कड़ जिले के कोल्लेंगोडे गांव से ताल्लुक रखती हैं, को 16 जुलाई 2025 को फांसी दी जानी थी। लेकिन भारत सरकार, धार्मिक नेताओं और अंतरराष्ट्रीय दबाव के बाद उनकी फांसी की सजा को अस्थायी रूप से टाल दिया गया है। यह खबर न केवल भारत में बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी चर्चा का विषय बनी हुई है।
Thank you for reading this post, don't forget to subscribe!मामले का पूरा घटनाक्रम
निमिषा प्रिया, जो 38 वर्षीय नर्स हैं, 2008 में बेहतर भविष्य की तलाश में यमन गई थीं। उन्होंने वहां एक स्थानीय अस्पताल में नर्स के रूप में काम शुरू किया और बाद में 2014 में अपने यमनी बिजनेस पार्टनर तलाल अब्दो महदी के साथ एक क्लिनिक शुरू किया। जुलाई 2017 में तलाल की हत्या के आरोप में निमिषा को गिरफ्तार किया गया। पुलिस ने उनके शव को एक पानी के टैंक में खंडित अवस्था में बरामद किया, जिसके बाद उन्हें हत्या का दोषी ठहराया गया। 2020 में यमन की एक अदालत ने उन्हें मौत की सजा सुनाई, और नवंबर 2023 में उनकी अपील यमन के सुप्रीम जुडिशियल काउंसिल द्वारा खारिज कर दी गई थी।
फांसी टालने के पीछे की कोशिशें
फांसी की सजा टालने के लिए भारत सरकार ने कूटनीतिक प्रयास तेज कर दिए थे। विदेश मंत्रालय ने यमनी अधिकारियों के साथ लगातार संपर्क बनाए रखा, हालाँकि भारत का यमन में कोई राजदूतावास नहीं है और हूती विद्रोहियों के नियंत्रण वाले सना में स्थिति जटिल है। इस बीच, केरल के वरिष्ठ सुन्नी नेता कंथापुरम एपी अबूबकर मुसलियार, जो भारत के ग्रैंड मुफ्ती के रूप में जाने जाते हैं, ने यमन के धार्मिक विद्वानों से संपर्क साधा। उन्होंने तलाल के परिवार के साथ बातचीत शुरू करने में मध्यस्थता की, जिसके परिणामस्वरूप फांसी को टालने का फैसला हुआ। इसके अलावा, निमिषा की मां प्रेमकुमारी पिछले एक साल से यमन में रहकर मृतक के परिवार से माफी की अपील कर रही थीं।
वर्तमान स्थिति और चुनौतियां
हालांकि फांसी टल गई है, लेकिन निमिषा की स्थिति अभी भी अनिश्चित है। यमनी कानून के तहत, मृतक के परिवार को “ब्लड मनी” (मुआवजा) स्वीकार करने या माफी देने का विकल्प है, लेकिन तलाल के भाई अब्देलफतह मेहदी ने साफ कर दिया है कि वे किसी भी मुआवजे को स्वीकार नहीं करेंगे और “किसास” (आंख के बदले आंख) की मांग कर रहे हैं। भारत सरकार और समर्थन समूह “सेव निमिषा प्रिया इंटरनेशनल एक्शन काउंसिल” मध्यस्थता के जरिए समाधान की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन मृतक के परिवार का रुख सख्त बना हुआ है।
सुप्रीम कोर्ट ने भी इस मामले में सुनवाई की और केंद्र सरकार से स्थिति स्पष्ट करने को कहा है। अटॉर्नी जनरल ने बताया कि यमन में भारत की सीमित कूटनीतिक पहुंच के कारण स्थिति जटिल है, लेकिन हर संभव प्रयास जारी हैं।
आगे की राह
निमिषा की फांसी टलने से उनके परिवार और समर्थकों को राहत मिली है, लेकिन उनकी रिहाई के लिए अभी लंबा रास्ता तय करना बाकी है। सोशल मीडिया पर #NimishaPriya ट्रेंड कर रहा है, और लोग उनकी रिहाई के लिए दुआएं मांग रहे हैं। हम आपको इस मामले के हर अपडेट से अवगत कराते रहेंगे।